The best Side of Shodashi

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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता

प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?

सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥

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बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे

हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

Her role transcends the mere granting of worldly pleasures and extends for the purification from the soul, bringing about spiritual enlightenment.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

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